सिर का सवाल
शेर की मांद से कोई
शेर का सिर ले जाये,
पूरा जंगल ही शर्म
से तार-तार हो जाये।
बदइंतज़ामी में
निगेहबान परिन्दे ही नहीं,
सारे जीवों को कसूरबारों में गिना जाय।
हादसा ये
मामूली नहीं सिर का
सवाल
है,
क्यों न ऐसे
दरिंदे के हाथों को काटा जाय।
अब हम किसी की
जयादती नहीं
सहेंगे,
ऐसा न हो
रगों में बहता खून पानी हो जाय।
गर सारे शेर
मिल कर एक आवाज़ में दहाड़ें,
यकीनन वो दरिन्दा दहशत से ही मर जाये।